मातृत्व का सफर

मातृत्व के सफर की सुखद अनुभूति का वर्णन

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Kamini sajal soni
Kamini sajal soni 12 Jun, 2020 | 1 min read

मां बनना नारी जीवन का सबसे सुखद अनुभव होता है। हर स्त्री का सपना होता है कि वह एक सुंदर और स्वस्थ बच्चे की मां बने लेकिन एक स्त्री से मां बनने तक के सफर में उसको बहुत सारी मुसीबतों परेशानियों शारीरिक अस्वस्थता का सामना करना पड़ता है।

और जब उसके अस्तित्व में मां बनने की सुखद अनुभूति होती है तो वह सारे दुख कष्ट भूल जाती है एवं हर पल अपने अनदेखे अनजाने बच्चे की मिलन की कल्पना में खो जाती है यह अनुभव एक नारी के जीवन में कितनी सुखद स्मृतियां लेकर आता है।

धीरे-धीरे समय बीतता जाता है और नौ महीने पूरे होने के पश्चात अपना ही प्रतिरूप जब अपने हाथों में आता है वह मिलन की घड़ी मां की जिंदगी की सबसे अनमोल घड़ी होती है।

वह अपने बच्चे के लिए दुनिया की हर मुसीबत हर समस्या से लड़ने का जज्बा रखती है।

अब शुरू होता है बच्चे के साथ मां की नींद का सफर और इस सफर में मां की नींद और रात जैसे अपने लाडले दुलारे को निहारने में ही निकल जाती है।

उसे हर पल यह ख्याल रहता है की लाडला सो रहा है या नहीं कहीं भूखा तो नहीं है कहीं बिस्तर गीला तो नहीं है वगैरा-वगैरा और सारी रात भर इसी तरह निकाल देती है।

और जब धीरे-धीरे बच्चा बड़ा होने लगता है तो उसकी स्कूल की जिम्मेदारियां सुबह से टिफिन के लिए जल्दी उठना बच्चे को तैयार करना उसका सब सामान बैग में पैक करना इत्यादि।

और इस तरह से एक बच्चे के साथ मां की नींद का सफर चलता ही रहता है।

इसी सुखद अहसास को शब्दों के रूप में बयां करती हुई मेरी स्वरचित रचना:-

आने की दस्तक से तुम्हारी

मन खुशियों से भर गया

कौन हो तुम कैसे लगते हो

अनदेखी अनजानी सी

हर पल मिलने की चाहत में

मन खुशियों से भर गया

आ गया अस्तित्व का

प्रतिरूप मेरे अंक में

प्यारी नन्हीं परी से मेरा

आज घर आंगन खिला ।

सर्वाधिकार सुरक्षित (मौलिक)

कामिनी सजल सोनी

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