बचपन के संस्कार (बुंदेलखंडी रचना)

बचपन के संस्कार

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Kamini sajal soni
Kamini sajal soni 09 Jun, 2020 | 1 min read

एक दिन रिया अपने संगी साथियन के संगे खेल रई ती, तबई उखां धरती पे कछु रुपैया डरे दिखाएं ऊने तुरतईं उन रूपइन खां उठा के अपने पास में धर लये।

अब रिया अपनों खेलबो छोड़कें जल्दईं-जल्दईं घरे की तरफ भगन लगी भगत भगत सामने से ऊके दद्दा चले आ रये ते एकदम से रिया उनसे भिड़ गई... दद्दा ने पूछ लई कहां भगत चली जा रईं....

कहूं नईं दद्दा रिया ने कई

कहूं तो दद्दा बोले

रिया ने अपनी मुट्ठी खोल के दद्दा के सामने कर दई...

अरे जे का इत्ते सारे रुपैया कहां से आए तोरे पास ... अम्मां ने दये का

अहां दद्दा हमें डरे मिले..... जहां हम खेल रये ते

दद्दा ने रिया खां प्यार से अपने पास बैठारो और ऊखा समझाओ

बेटा जोन पईसा हम तुमें दइये या तुमाई अम्मां बस उनईं पईसन पे तुमाओ हक्क है।

यह तो कोनऊ और की अमानत आयें ... चलो जहां से मिले रहे उतई हमें ले चलो हम वापस कर देबी.....

दद्दा रिया खां लेके उतईं पहुंचे ... उते एक जनें कछु ढूंढत भये दिखे....

दद्दा ने उनसे पूछो...

काय भैया का हिरा गओ..

कछु नईं हमाये रुपैया नईं मिल रये इतईं कहूं गिर गये....

दद्दा ने उनके हाथ पे रिया के हाथ से रुपैया लेके धर दये । देख लो भैया पूरे हैं ना.....

रुपैया मिल जाबे की खुशी और चमक उनकी आंखन में देखके रिया को अपनी जिंदगी में एक सबक मिल गओ....

कभऊं कोऊ को हक ना छीनो चाहिए।


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Kamini sajal soni

kaminisajal

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  • Babita Kushwaha · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत अच्छी कहानी

  • Kamini sajal soni · 3 years ago last edited 3 years ago

    धन्यवाद सखी

  • Vineeta Dhiman · 3 years ago last edited 3 years ago

    वाह अछि काहानी है

  • Kamini sajal soni · 3 years ago last edited 3 years ago

    धन्यवाद सखी

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