यादों के अवशेष

The remains of a house after the departure of the lady of the house

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Juhi Prakash Singh
Juhi Prakash Singh 05 Feb, 2021 | 1 min read

तुम्हारे जाने के बाद पहली बार तुम्हारे घर आई हूँ

चारों और से सन्नाटे की चीखें सुन रही हूँ

हर कोने से सिर्फ यादों की लहरें आती हैं

मेरे मनस पटल को झकझोर कर जाती हैं 

इतने अरसे बाद भी लगता है की तुम अभी कही से निकल कर आओगी 

फिर यह याद आता है की जहां तुम गयी हो वहाँ से न अब आ पाओगी 

यह घर तो तुम्हारी राह देखता ही रह गया 

हाथ बांधे खड़ा रहा, इसके प्राण कोई ले गया...

अब यह घर तो घर ना रहा

यादों का पिंजरा हो रहा 

इस पिंजरे में तुम्हारी यादों के अवशेष हैं

बस अब इस घर में यही विशेष है....

#1000poems


- जूही प्रकाश सिंह

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Juhi Prakash Singh

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