वो रात

The tale of a night that changed my life

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Juhi Prakash Singh
Juhi Prakash Singh 22 Jun, 2021 | 1 min read

मम्मी डैडी को साथ लेकर हम हिमाचल घूमने गए थे. उस दिन हमने अपना पड़ाव मिनी स्विट्ज़रलैंड कहे जाने वाले 'खज्जिआर' में डाला था।

अचानक कॉटेज के दरवाज़े पर एक तेज़ दस्तक सुनाई दी, डैडी ने कहा कि शायद तेज़ हवा और बारिश ने दरवाज़े की कुण्डी बजा दी होगी , लेकिन एक पल बाद दुबारा लगातार तीव्र दस्तक सुनी तो खिड़की से झाँका, और पाया की एक बुज़ुर्ग बारिश में बिल्कुल गीले खड़े हैं। बुज़ुर्ग देखकर डैडी ने दरवाज़ा खोला, उन्हें अंदर बुलाकर अपने कपड़े दिए, मम्मी ने चाय बनाई और बातों का सिलसिला चल पड़ा जुयाल जी के साथ।


वक़्त के साथ यह छोटा सा इत्तेफ़ाक़ एक दोस्ती में बदल गया था। मेरे लिए शादी के रिश्ते देखे जा रहे थे कि अचानक एक दिन जुयाल जी का फ़ोन आया। वे अपने डॉक्टर पोते के लिए मेरा हाथ मांग रहे थे।


बस फिर क्या था, वे सब हमारे घर आए। डॉ अनिल जुयाल ओर मेरी आँखे चार होते ही हम एक दूसरे को अपने दिल दे बैठे और फिर चट मंगनी पट ब्याह हो गया।

उस एक रात की इत्तेफ़ाक़ी मुलाकात ने मेरे जीवन की सुखद कहानी लिख दी थी।

- जुही प्रकाश सिंह 


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