भारत की दुनिया में पहचान बने

मेरा देश सदा ही विश्वगुरु कहलाता था , अब हम सबको इसे पुनः विश्व गुरु बनाने का प्रयास करना होगा ताकि फिर भारत पूरे विश्व में अपनी पहचान बना कर फिर विश्व गुरु कहलाए, पर कैसे? इसी प्रश्न को इस कविता के माध्यम से सभी को बताना चाहती हूँ।

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Jaya Ashish Choubey
Jaya Ashish Choubey 09 Sep, 2020 | 1 min read
#India #poetryblast

मेरा देश , मेरा राष्ट्र , सशक्त और महान बने

आज फिर मेरे भारत की दुनिया में पहचान बने|

खरीदें आज से ही सामान हम लोकल 

जन-जन हो जाए इसी पर वोकल

सुद्रढ़ करें अपनी अर्थव्यवस्था का स्तंभ

चूर चूर हो ताकि विधेशों का भी दंभ

ऐसा कुछ मेरा ये हिन्दुस्तान बनें

आज फिर मेरे भारत की दुनिया में पहचान बने||

सबल हो इस देश का हर एक व्यक्ति

मजदूर, नौकरीपेशा या हो उद्योगपति|

खुशियाँ उहर आँगन में बिखरती रहे

निरपेक्षता का सदैव ही यह पर्याय बनें

आज फिर मेरे भारत की दुनिया में पहचान बने||

देश की प्रतिभाएं, निखरे सदा स्वदेश में

बोली और भाषा भी, बिखरे पूरे देश में

लेकिन फिर भी मातृभाषा, मेरी हो सर्वोपरि

महापुरुषों ने सदा ही जिसकी वंदना करी|

जन्म लिया जिस देश में कर्मवीर उसके बने

आज फिर मेरे भारत की दुनिया में पहचान बने||

प्रारंभ हो इस देश में, वही गुरु शिष्य परंपरा

पैदा हो ताकि वीरपुरुष, गर्वित हो , हर्षित हो धरा |

धर्म और संस्कृति की जग में विजयी पताका फहराये

विश्व के हर कोने में अब तिरंगा मेरा लहराये

फिर किसी महागुरु का, अखंड भारत स्वप्न बने 

आज फिर मेरे भारत की दुनिया में पहचान बने||

शिक्षा हो, युद्ध हो या हो विज्ञान,

कारगिल, पुलवामा या हो गलवान

फतह कर हर एक को सबका सरताज बने 

आज फिर मेरे भारत की दुनिया में पहचान बने

विश्वगुरु तो था सदा ही, विश्वगुरु ही अब बने 

मेरा भारत मेरा देश शक्ति की पहचान बने 

आज भरत के भारत की दुनिया में शान बने 

आज फिर मेरे भारत की दुनिया में पहचान बने||

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