बसंत आगमन....!

कहीं फूल खिल रहे, कहीं खिल रहा प्यार झूम कर आया मौसम देखो बसन्त बहार..

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Jahaji sandesh
Jahaji sandesh 03 Apr, 2021 | 1 min read

कहीं फूल खिल रहे,


कहीं खिल रहा प्यार


झूम कर आया मौसम


देखो बसन्त बहार..


कहीं ख़ुशियों ने डेरा डाला,


कहीं हो रही ख़ुशियों की बौछार


अपना मौसम झूम के आया


देखो बसन्त बहार


कहीं हो रही लफ़्ज़ों से बातें,


कहीं हो रहा इक़रार,


देखो मौसम छुप के मिलता


अपना बसन्त बहार


कहीं लग रहा सपनों का मेला,


कहीं खुल रहा द्वार


देखो कैसे झूम कर आया,


अपना बसन्त बहार,


कहीं दीवाने ताक पर बैठे,


कहीं लग रहा चाँद,


देखो मौसम झूम के आया,


अपना बसन्त बाहर।


~ गौरव शुक्ल "अतुल"

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