यादों की फ़रवरी

यादों की फ़रवरी

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Jahaji sandesh
Jahaji sandesh 26 Feb, 2022 | 1 min read

शुरुआती फ़रवरी ने हमें थका दिया ,

रोज़गार के वास्ते ,

दूसरे राज्य भगा दिया ...


वहाँ भी क़िस्मत का रूखापन दिखा,

काम के प्रकृति से दिल बहुत दुःखा !


उस दौरान कला और कविताओं के लिए भी

समय को मैं निकाला करता था ,


हाँ ,

अब मैं अच्छा लिखने लगा हूँ ,

हर कविता पर ये वहम पाला करता था !


मोहब्बत की फ़रवरी आगाज़ हुआ ,

किसी के जहन में थी कभी जो मोहब्बत ,

वो इस दौरान याद हुआ ,


जो थे पास उनसे सभी ने मुलाक़ात की ,

कुछ ने उठाया कोरा कागज़ और शब्दों से बात की !


हर एक दिन को यादों से बस निकालना चाहा ,

कागज़ों पर ही सही ,है वो अभी ,

ये वहम हमनें भी पालना चाहा !


मोहब्बत के विशेष दिन का अंत मेरे अश्रु के साथ हुआ ,

उस दिन के बाद फिर से पुराने दिन ही कि तरह आगाज़ हुआ !


कुछ सहभागिता हुई ,

किसी का जन्मदिवस खास रहा ,

पेपरविफ़ टीवी का एक अलग ही एहसास रहा !


हमनें एक अलग ही ऊर्जा और ख़ुशी देखी ,

फिर क्या , अगली बार सहभागिता के लिए हिम्मत समेटी !


और ज़्यादा खास नहीं रहा ये महीना ,

चुभता भी है हर रोज़ ये कहीं न कहीं न !


~गौरव शुक्ला'अतुल' 


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