अपवित्र सोच !!

पीरियड्स महिला को अपवित्र नहीं करते

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Ekta rishabh
Ekta rishabh 07 Dec, 2020 | 1 min read

शांति जी बेहद पूजा पाठ वाली महिला थी | घर के मंदिर में ठाकुर जी रखा था और रोज़ नियम से ठाकुर जी की पूजा पाठ करती | महीने में आने वाले सारे व्रत त्यौहार भी पुरे निष्ठा से करती |


शांति जी के परिवार में दो बेटे और दो बहुएं थी | बड़े बेटे की दो लड़कियाँ थी बड़ी तेरह साल की और छोटी दस साल की | छोटे बेटे को एक पांच साल का बेटा था |


घर में शांति जी का कड़क अनुशासन था | सुबह उठ कर नहा धो कर ही रसोई में बहुओं को जाने की अनुमति होती | महीने के उन दिनों में दोनों बहुओं को रसोई और मंदिर के आस पास भी आने की अनुमति नहीं होती थी | पुराने विचारों की शांति जी पोतियों से प्रेम भाव कम रखती और पोते से खुब प्यार करती |


उनके इस व्यवहार से घर में सब परिचित थे और थोड़े चिढ़ भी जाते ख़ास कर बड़ी बहु (राधा )जो की एक माँ के तौर पे स्वाभाविक भी था |


बड़ी पोती दिया तेरह साल की थी और बच्ची को पहली बार पीरियड्स आ गए | पहली बार होते इन शारीरिक बदलाव से डरी सहमी मासूम दिया को उसकी माँ ने संभाला और सारी बातें समझा दी |


शांती जी को जैसे दिया का पता चला राधा को बुला कहा, "" दिया को सारे कायदे समझा देना बहु उन दिनों क्या करना है और क्या नहीं ""| सुन कर राधा ने सिर हिला दिया |


राधा पूरी कोशिश करती दिया को उन दिनों में अपनी निगरानी में रखने की लेकिन आखिर थी तो दिया बच्ची ही माँ की सीख भूल जाती ; राधा को हर समय डर लगा रहता अपनी सासूमाँ का की कोई बखेड़ा ना शुरु हो जाये |

और एक दिन राधा का डर सच निकल गया, "" दिया को पीरियड्स आये थे और स्कूल में उसका एग्जाम था स्कूल जाते समय भूल से भगवान का टीका लगाने मंदिर में चली गई |


शांति जी की नज़र जैसे ही दिया पे गई क्रोध से वो कांप उठी | हाथ पकड़ बुरी तरह से दिया को खींच के बाहर ले आयी और एक कस के थप्पड़ जड़ दिया दिया के गालों पे | मासूम दिया गालों को सहलाती रोने लग गई |


शोर सुन राधा भागी आयी, "" क्या हुआ माँजी ""??


देखा तो मासूम दिया अपने गाल पकड़ सुबक रही थी और शांति जी उसपे बरसे जा रही थी |


अपनी बेकसूर मासूम बच्ची को रोते देख राधा का कलेजा मुँह को आ गया और आज राधा के भीतर दबी बरसों की गुस्से चिंगारी भड़क उठी | दिया का हाथ पकड़ उसके आंसू पोछे, "" बेटा तुम अपने कमरे में जाओ आज पापा स्कूल छोड़ देंगे तुम्हें "", अपनी माँ की बात सुन दिया अपने कमरे में चली गई |


"ये क्या कर रही है आप माँजी"?


""मुझसे क्या पूछ रही हो अपनी नालायक बेटी से पूछो जिसने मेरा मंदिर अपवित्र कर दिया | तुम्हें बोला था ना दिया को समझाने को फिर क्यों हुई ये गलती ""|


""ये क्या कह रही है आप माँजी, मासिक धर्म एक स्वाभविक शारीरिक क्रिया है जिससे हर औरत गुजरती है | मैं गुजर रही हूँ कुछ सालों पहले तक आप भी गुजरती थी | जो क्रिया माँ बनने के लिये जरुरी है उससे कोई स्त्री अपवित्र कैसे हो सकती है ""?


""और दिया ! बच्ची है वो और बच्चे तो खुद भगवान का रूप है फिर दिया से मंदिर कैसे अपवित्र कैसे होगा ""?


अपनी गऊ जैसी बहु को आज ऑंखें दिखाता देख शांति जी दंग थी |


""मुझे ऐसे बात करने की हिम्मत कैसे हुई बहु""?


"""माँजी आज आपके सामने आपकी बहु नहीं दिया की माँ खड़ी है |जब से इस घर में आयी हमेशा चुप रही, तब चुप रही जब अपने बच्चों में फ़र्क किया, तब चुप रही जब आपके इन खोखले नियमों के चलते मैं रसोई की बाहर अपनी भूख से बिलखते बच्चों को ले खड़ी रहती और आप पूजा में व्यस्त रहती लेकिन अब नहीं माँजी अब चुप रही तो मेरी अबोध बच्चियां टूट जायेगी उनका आत्मविश्वास टूट जायेगा जो एक माँ कभी बर्दास्त नहीं करेंगी"" |


शांति जी अवाक् खड़ी देखती रह गई और राधा अपनी बिटिया को संभालने निकल गई | 

धन्यवाद 🙏





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Ekta rishabh

ektarishabh

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Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Anita Bhardwaj · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत ही बढ़िया

  • Ekta rishabh · 3 years ago last edited 3 years ago

    धन्यवाद अनीता जी 🙏🥰

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