पिता सघंर्षो का वो मोती

पिता संघर्षों का वह मोती जो ना कभी थके ना कभी रुके

Originally published in hi
Reactions 2
496
Ektakocharrelan
Ektakocharrelan 21 Jun, 2020 | 1 min read

पिता सघंर्षो का वो मोती

जो न कभी थके 

न कभी रूके

चलता ही रहे निरन्तर

पूरी करने को.. ख्वाहिशें

लगा रहे दिन रात

इस उधेड़बुन में कि 

कैसे पूरा करे सबके सपने

संजोये है सबने ,जो अपनी आँखों में.... 

दिन रात जो चूर कर दे खुद को ताकि

होठों पर बनी रहे मुस्कान सभी के

कुरबान कुछ इस कदर करे वो अपना जीना

कि तय करे जीवन की हर कसौटी

पिता सघंर्षो का है वो मोती

त्याग कर अपना सुख

उड़ेल दे सबके जीवन में

आत्मविश्वास, बने सबकी प्रेरणा, 

अवर्णीय पिता का हर त्याग

पिता का हृदय विशाल

 

एकता कोचर रेलन

2 likes

Published By

Ektakocharrelan

ektakocharrelanyw9l4

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    खूबसूरत कविता

  • Ektakocharrelan · 3 years ago last edited 3 years ago

    शुक्रिया संदीप जी 🙏

Please Login or Create a free account to comment.