ऐ जुगनू

ऐ जुगनू थोड़ा रोशन तुम उस और कर दो ना

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Ektakocharrelan
Ektakocharrelan 22 Feb, 2021 | 1 min read
#1000 poems

जुगनू 

ऐ जुगनू थोड़ा रोशन तुम उस और कर दो ना,

जहां दीप ना जले उस गली को रोशन कर दो ना।

जहां राह में हार मान कर  बैठ गए चिंतित पथिक,

तुम उम्मीद व एहसास के मोती वहां भर दो ना।

नहीं रहीं चाह संपूर्ण आकाश कि जैसे तुम्हें कभी भी,

किरण उम्मीद की देखो तुम हारें हुए में भी भर दो ना।

तुम जानते हो कि पल भर के हो तुम यहां मेहमान,

घूमते बदमस्त इधर-उधर खुद सा रोशन सबको कर दो ना।

जानते हो क्षण भंगुर है जीवन फिर भी रोशन करते जहां,

फिक्र नहीं अधरों पर कोई सबमें यही हौसला भर दो ना।

एकता कोचर रेलन

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