पिता

पिता सघंर्षो का वो मोती

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Ektakocharrelan
Ektakocharrelan 17 Feb, 2021 | 1 min read
#1000 poems

पिता सघंर्षो का वो मोती

जो न कभी थके 

न कभी रूके

चलता ही रहे निरन्तर

पूरी करने को.. ख्वाहिशें

लगा रहे दिन रात

इस उधेड़बुन में कि 

कैसे पूरा करे सबके सपने

संजोये है सबने ,जो अपनी आँखों में.... 

दिन रात जो चूर कर दे खुद को ताकि

होठों पर बनी रहे मुस्कान सभी के

कुरबान कुछ इस कदर करे वो अपना जीना

कि तय करे जीवन की हर कसौटी

पिता सघंर्षो का है वो मोती

त्याग कर अपना सुख

उड़ेल दे सबके जीवन में

आत्मविश्वास, बने सबकी प्रेरणा, 

अवर्णीय पिता का हर त्याग

पिता का हृदय विशाल


एकता कोचर रेलन

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