लाड़ो

नन्ही लाड़ो आयी जीवन में घर में सन्नाटा छा गया

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Ektakocharrelan
Ektakocharrelan 16 Feb, 2021 | 1 min read
#1000 poems

विधा-पद्य 

शीर्षक- लाड़ो

नन्ही लाड़ो आयी जीवन में

घर में सन्नाटा छा गया

बिटिया के आने से जैसे

घर में अन्धेरा छा गया

दादी ने मुंह बनाया

दादू ने अपना टिकट कटाया

किसी को अब कुछ न भाया

हृदय हुआ अब घायल

बूढ़ी आंखें पोते का मुंह न देख पाएगी

चलो तीर्थ यात्रा कर आए

अब ऐसे ही पुण्य कमाये

मां बेचारी सोच रही

बेटा आ जाता 

तो पा लेती सम्मान

घर में सुबह -शाम मेरा भी होता मान

पर ये क्या? 

देख कर सब हो गये हैरान

पिता ने सुंदर सा माहौल रचा डाला

खूब जशन मना डाला

पिता बोले मेरी लाड़ो

है मुझको प्राणों से प्यारी 

बेटा, बेटी में कुछ फर्क नहीं

ये मेरी दुनिया सारी है

जीवन में हर सुख- सुविधाएं दूंगा

पाई-पाई जोडूंगा

किसी को उसके भविष्य से न खेलने दूंगा

एकता कोचर रेलन

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