पीड़ा

पुरुष क्यूं तुम्हें खुद पर इतना अंहकार

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Ektakocharrelan
Ektakocharrelan 21 Feb, 2021 | 1 min read
#1000 poems

पुरुष क्यूं तुम्हें खुद पर इतना अंहकार,

नारी भी रखती है पटरी पर बराबरी का अधिकार।

तीखे व्यंग्य अक्सर तेरे चीर देते हैं अन्दर तक मुझे-

कभी तो बोल प्यारे बोल दे मुझको सम्मान।

घर की सब जिम्मेदारियों में श्रेय मुझे जाता है

क्या हुआ जो बाहर का दायित्व तू निभाता है

घर की नींव मजबूत होगी लंबी हर राह में तभी!

जब समझेगा तू नारी को हमसफ़र देगा उसे सम्मान।

एकता कोचर रेलन

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Ektakocharrelan

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