यूं ना तुम बैठो राह में

क्या तुम में अपना स्वाभिमान नहीं?? जो तुमने हाथ फैलाया है!!

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Ektakocharrelan
Ektakocharrelan 02 Mar, 2021 | 1 min read
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यूं ना तुम बैठो राह में


क्या तुम में अपना स्वाभिमान नहीं??

            जो तुमने हाथ फैलाया है!!

 मुझको देखो मैं लाचार नहीं हूँ,

             बेशक हाथ ना पाया है!!


माना जीवन कठिन है जीना,

               पर इतना भी दुष्वार कहां!

 आँखें मूंदकर मत बैठो तुम,

        जब खुदा ने  सबल बनाया है!!


मेहनत से तुम देखो तो,    

            पंछी भी हैं कहां थके!

उड़ते रहते ,चहचहाते-

          अपनी धुन में विचरते कभी ना रुके!


कैसे फिर तुम हार गये?

      दयनीय बन हाथ फैला लिये!

 देखो तुम बीमार नहीं !!

       मानसिक रूप से लाचार नहीं!!


यूं ना इधर- उधर तुम राह निहारो!

          श्रम करो हौसला मन में धरों!

जीवन का सफर रंगमय और सुंदर,

       बाधाओं पर पैर रख कर्मशील बनो!!


एकता कोचर रेलन






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