तन्हाइयां

तन्हाइयां गले लगाने लगी हमको

Originally published in hi
❤️ 0
💬 0
👁 594
Ektakocharrelan
Ektakocharrelan 21 Feb, 2021 | 1 min read
#1000 poems

तन्हाइयां गले लगाने लगी हमको,

इश्क के समन्दर में बहकाने लगी हमको।


यूं तो दूरियां कभी भायी न थी हमको,

पर अब ये अक्सर रास आने लगी हमको।


अकेले रह कर भी अकेले कहां अब हम,

धड़कने खुद से मिलाने लगी अब हमको।


एहसास ये थोड़ा जुदा -जुदा सा था कुछ

खामोशी का फ़लसफ़ा समझ आने लगा मुझको।


भिगो रहा सावन दिल को कुछ इस कदर,

 भिगो हवा के झोंके जैसे सताने लगा हमको।


उड़ेल दिया वो सब हमने इन पन्नों पर,

स्याही के रंग सा नजर आने लगा हमको।

एकता कोचर रेलन

0 likes

Support Ektakocharrelan

Please login to support the author.

Published By

Ektakocharrelan

ektakocharrelanyw9l4

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.