भाईजी की सीख (निमाड़ी कहानी)

पिता की सीख

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Ekta Kashmire
Ekta Kashmire 15 Jul, 2020 | 1 min read

भाईजी की सीख

उदित अवंऽ ओका भाईजी की दुकान पऽ बठणऽ लग्यो थो। भमसारऽ ओखऽ कोई ३०० की जगऽ ५०० रूप्या दई गयो।ऊ बी खुश हुईगो कि भाईजी खऽ नी बताऊंगा। दोस नऽ का सात मऽ पाल्टी उड़ाऊंगा।

एत्रा मऽ भाईजी आई गया। ऊ नौकर खऽ कई रह्या था कि-

"बईमानी को पैसो कदि बी हजम नी हुतो।"


उदित नऽ मन बदली लियो नऽ उना गीराक खऽ फोन करी नऽ कई दियो कि भाई तुम ज़्यादा पैसा दई गाज तुमारा खाता मऽ अटकाई रह्योज। 

ओनऽ ओका खाता मऽ 200/- जमा अटकाई दिया।

बाप नऽ जी ईमानदारी को पाठ पढ़ायो,ओका सी उदित अवं एक बड़ी दुकान को सेठ छे।

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