बटोर लो खुशियां

Happy family

Originally published in hi
Reactions 0
261
Dr Rekha jain
Dr Rekha jain 16 May, 2022 | 1 min read

      "बटोर लो खुशियां"

      +++++++++++++



भौतिकता की चकाचौंध में जीने वाली युवा पीढ़ी आज तनाव में जी रही है और अधिक की चाह में अपनी खुशियों को नजरंदाज कर रही है।आगे बढ़ने की होड़ में अपने मन के सुकून को खोते जा रहे हैं।हर समय अपना फायदा और नुकसान के तराजू पर तौल रहे है।कहने का तात्पर्य है कि आज युवा पीढ़ी स्वार्थी होते जा रहे हैं। आज युवा पीढ़ी अपनी इंद्रियों को सुधारने की बजाय दूसरों में खामियां ढूंढ रहे हैं।इसका प्रभाव दूसरे पर कैसा पढ़ता है इससे उनको कोई लेना देना नहीं होता है।

 हमें बीती हुई बातों को अपने मन में गाँठ बनाकर नहीं रखना 

चाहिए। अप्रिय, दुःख, कटु एवं ठेस पहुँचाने वाली बातों को भूल जाना 

ही हितकर होता है। यदि हम बीती बातों को अपने दैनिक जीवन में बार-

बार याद करते रहेंगे तो हमारी मानसिक शांति नष्ट होगी और मानसिक 

रूप से अशांति का प्रभाव हमारे वर्तमान जीवन पर भी बुरा पड़ सकता 

है। यदि हमारा वर्तमान बिगड़ता है तो उसका प्रभाव भावी जीवन पर भी 

पड़ सकता है। यदि हम हमेशा भविष्य की चिंता करने में ही अपना समय

बरबाद करेंगे तो यह भी गलत होगा। भविष्य तो अभी आया नहीं। भविष्य

में क्या होगा? कोई नहीं जान सका है और न ही जान सकता है, इसलिए 

भविष्य की चिंता करने में कोई लाभ नहीं होगा। भविष्य कि चिंता में अपने 

वर्तमान की शांति नष्ट मत करो। संसार में जो भी व्यक्ति महान् बने हैं, 

उन्होंने वर्तमान में ही जीना सीखा था। वर्तमान व्यक्‍ति की मुट्ठी में है, 

वह चाहे तो उसका सदुपयोग कर जीवन की ऊँचाई को छू ले या अपनी 

बरबादी का मूकदर्शक बना रहे। वर्तमान को स्वीकार कर ही हम श्रेष्ठता 

को प्राप्त कर सकता है।

अतः आवश्यकता है वर्तमान जीवन के हरेक पल को, प्रत्येक क्षण 

को बटोरने, सहेजने, सँवारने और गढ़ने की।

प्रत्येक व्यक्ति सुख और शांति का जीवन जीने की कामना करता 

है और यह कामना इच्छा स्वाभाविक भी है। परंतु सुखी और शांति का 

जीवन जीना क्या चिंता और मानसिक घुटन के साथ रहने से संभव है? 

सर्वथा नहीं। मानसिक रूप से चिंतित रहने और बीती बातों पर सोचते रहने 

से तो जीवन में सुख और शांति का अनुभव करना संभव नहीं। लगातार 

घुटन का जीवन जीते रहने से व्यक्ति कई रोगों जैसे तनाव, रक्तचाप, 

मधुमेह आदि का शिकार हो जाएगा। इतना ही नहीं वह पारिवारिक जीवन 

का सुख और आनंद से भी वंचित रहेगा। स्वास्‍थ्य भी गिरेगा और मानसिक चिंताएं भी बढ़ेगी इसलिए जरूरी है भविष्य की चिंता करें बिना हम वर्तमान मे से जितनी ज्यादा खुशियां बटोर सकते हैं बटोर ले वही हमारी सच्ची और अच्छी पूंजी है जिसे कोई चुरा भी नहीं सकता।


डॉ रेखा जैन शिकोहाबाद

स्वरचित व मौलिक रचना


0 likes

Published By

Dr Rekha jain

drrekhajain

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.