Title यादों के झरोखे

Miss our relatives

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Dr Rekha jain
Dr Rekha jain 19 May, 2022 | 1 min read


विषय-#यादों के झरोखें


    यादों के झरोखे

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यादों के झरोखे में एक पल मेरा भी हो।

पुष्पों के चमन में इक गुल मेरा भी हो।


खुदा करे जब आप याद करें अपनों को 

उन हसीन लम्हों में एक क्षण मेरा भी हो


यादों के झरोखे में ढूंढती रही मैं तुम्हें आज

प्यार भरे दिनों के अपने वो अजीज राज।


दिल में तुम्हें बसाकर जब पहना था ताज।

यादों के झरोखे से निकल करती हूं नाज।


चुप-चुप के मिलने से तुम ना आते थे बाज।अपना बनाने की यादें थी दौलत रूपी साज


यादों की खुली किताब ही बची है मेरे पास।

यादों के झरोखे से करती हूं मैं अरदास।


डॉ रेखा जैन शिकोहाबाद

स्वरचित व मौलिक रचनानं

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