सात समुंदर पार से

हर युवा का सपना होता है कि उसे उच्च जीवन स्तर मिले, विकास मिले, मूलभूत सुविधाएँ मिलें। उड़ने के लिए एक उन्मुक्त आकाश मिले।

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Deepali sanotia
Deepali sanotia 22 May, 2021 | 0 mins read

सात समुंदर पार से,

ना जाने कौन पुकार रहा है!

इस देश का हर दूसरा युवा,

लालायित होकर उस ओर ही निहार रहा है।


ऐसा क्या है उस पार?

कि बदल गया है हर युवा का व्यवहार,

या ऐसा क्या है इस पार?

जो अब हमें खुद ही नहीं हैं स्वीकार।


माना कि उस पार,

इस पार से अधिक विकास है,

यहाँ धर्म और राजनीति के संकरण से,

अपना सम्पूर्ण देश ही उदास है।


अपने पूर्वजों की उपलब्धियों की,

गाथा हम गातें हैं,

जड़ सोच रख कर,

नई विचार धाराओं का मज़ाक बनाते हैं।


हमारे पूर्वज कितनें वैज्ञानिक थें,

हर दम इसी का डंका बजाते हैं,

नई जिज्ञासाओं पर अंकुश लगा कर,

हम और अधिक अवैज्ञानिक होते जातें हैं।


जानतें हैं हम,

कि ये इक्कीसवीं सदी है,

फ़िर यहाँ क्यो बह रही,

पुराने ढर्रों की नदी है?


अब समय आ गया है,

थोड़ा बदलाव करने का,

पुराने ढर्रों को छोड़,

देश की उन्नति की ओर झुकाव करने का।


इस देश का युवा गर,

सात समुंदर पार जाएगा,

तो निश्चित ही अपने जीवन में,

बहुत बदलाव लाएगा।


पर क्या यहीं रह कर,

वो औरों के जीवन में,

कोई सुधार कर पाएगा?


ये निर्णय हर युवा को ही करना है,

देश के तंत्र में घुस कर,

देश की उन्नति का,

प्रस्ताव धरना है।


यहाँ रुक कर,

सत्य की खिड़कियों को खोलना है,

हिम्मत से आवाज़ उठा कर,

सोई हुई प्रभुता की आँखें खोलना है।


मुश्किल है यहाँ रुक कर,

अपनों से लड़ना,

अपनों से लड़ कर,

अपनों के लिए ही कुछ करना।


ये मुश्किल भरा काम,

हमें ही करना हैं,

देश की उन्नति के लिए,

चुनौतियों को स्वीकार हमें ही करना हैं।


अगर देश का हर युवा,

सात समुंदर पार जाएगा,

तो इस देश को,

कौन विश्व में पहचान दिलाएगा?


अपने देश की कीर्ति,

इस विश्व में कौन अपार लाएगा?

गर देश का हर दूसरा युवा,

सात समुंदर पार जाएगा!

स्वरचित एवम् मौलिक










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