क्यों

आज क्यों

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Dakshal Kumar Vyas
Dakshal Kumar Vyas 06 Jul, 2022 | 0 mins read
Strees Youths Life Heath Paperwiff

मंजिलों के दो राह पर खड़ा हूं आज क्यों

सफ़र चल रहा है मैं रुका हूं आज क्यों

जेब भरी नहीं है नज़र अंदाज कर रहे लोग आज क्यों

रिश्तों में नोटो कि गांठ लग रही आज क्यों

कुछ करना चाहता हूं कुछ बनने की ख्वाइश आज क्यों

जीवन नहीं जी रहा हूं घृणा के मैदान में खड़ा हूं आज क्यों

चलाना चाहता हूं चप्पल टूट गए आज क्यों

थोड़ा उठा हू खड़ा हूं दुनिया आशाओं से दबा रही आज क्यों

अभी थोड़ा और जीना चाहता हूं जिम्मेदारियां आज क्यों

रक्त शरहद पर बहा दूंगा पर सर तन से जुदा आज क्यों


दक्षल कुमार व्यास

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Dakshal Kumar Vyas

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