फर्क

फर्क यही है कि एक अमीर आर गरीब शहर ओर गांव।

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Dakshal Kumar Vyas
Dakshal Kumar Vyas 07 Mar, 2022 | 1 min read
Politics Indian Farmers Western culture

पसीने की बूंदे सुख गई खेतो में

हाथ मेले हुए काले धन में

मीठी ये जली रोटियां चूल्हे की

ठंडे ये गले सूखे ब्रेड पैकेट के

सूखे ये आसमान खेतो पर

बरस रहे फव्वारे मेदानो पर

राते आसमान के नीचे दिन निकले पेड़ों से

प्रकृति के समीप रहने से, गरीबी का एहसास न हुआ

AC के बंद कमरों में हुआ एहसास अमीरी का

नुकसान हुआ प्रकृति का

मेहनत में दिन सारा बीत गया चेन की नींद आई खटिए पर

व्यस्तता में बिता दिन सारा बैचेनी में बीती रात स्लीप वेल के गद्दी पे

डब्बे में सिक्के ,नोट फटे गले 2000 रुपए

इंतजाम हुआ राशन का सुकून मिला महीने का

डेबिट क्रेडिट में उलझ गए राशन का कोई पता नहीं

पता चला राशन का लाने वाले का कोई पता नहीं

निकला एक वर्ष दो धोती में खर्च हुए पगड़ी पे

बांधे साफा इज्जत का सरताज लिए

निकला एक वर्ष 365 कटे कपड़ो में

खर्च हुए बाहरी पहनावों पे

बांधे मुखौटा अभिमान का नजराना लिए।


दक्षल कुमार व्यास

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Dakshal Kumar Vyas

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