आम बदनाम हुआ, सिर्फ तेरे लिए....

आम का स्वाद

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CHARU RISHI MEHRA
CHARU RISHI MEHRA 28 May, 2022 | 1 min read

जब दिखा एक मुहासा

कॉलेज जाने से पहले

दीदी चिल्ला बोली,

हाय तौबा!! 

सिर्फ आम की ५ फाड़ी साथ

क्या बना नाक का डिज़ाइन,

कुसूर सारा आम का। 


चस्के लिए थे आम के

चाची ने माँ के साथ

दोनों का वजन बढ़ा,

दिया कुसुर, आम को-

बाद मालूम चला

चाची का पाउँ भारी

माँ तो सदा से एक्स्ट्रा प्यारी।


पापा की जेब करदी खाली

इस मुंबई के आम ने

दिल्ली में सफेदा

६० पे सफेद दिल और 

स्वाद लिए चीनी का था, 

बमबै आके नाम बदल

बदामि,

करदी तानाशाही

दिल्ली, बिन बुलाये याद आई

दिया कुसुर, फिर आम को। 


दादी ने आमरस निकाला

केक और कुल्फी बनाई

पूरी के साथ

प्रसाद में चढ़ाई

दादा की मधुमेह बढ़ी

दिया कुसुर, सिर्फ आम को। 


मज्जे लिये आम के

सिर्फ छुटकी ने, 

होठों पर ले मिठी

बूंदों को चाटकर

बिल्कुल कट्रीना स्टाइल

फिर दो बड़े आम

गोद में रख 

सभी फाड़ीयों पे नज़र गढाई, 

मेरी हैं बोल, 

सबको बड़ी आँखा दिखाई। 

खुश हो, लूडके आम जमींन पर

छुटकी ने इज़्ज़त सारी लौटाई।

....चारु ऋषि मेहरा

१२/०५/२०२१...


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