बारिश और प्यार का इजहार

Love story

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Varsha Abhishek jain
Varsha Abhishek jain 16 Jul, 2020 | 0 mins read

वो हौले हौले कदमों से मेरे तरफ ही बढ़ रही थी।मेरे तो बारिश के मौसम में ही पसीने छुटने लगे।

कई बार देखा था अपनी बालकनी से उसे। एक झलक के लिए घंटों इंतजार करता था। रूप की धनी थी वो।काले लम्बे बाल ,गोर वर्ण, जायदा तर हल्के रंग के कपड़े ही पहनती थी ।आज भी हल्का गुलाबी रंग का सूट पहन रखा था।

पर ये मेरे तरफ अा क्यों रही है।मैंने तो सिर्फ बालकनी से हेल्लो ही बोला था।कहीं उसे बुरा तो नहीं लग गया।दरसअल मैं शुरू से ही लड़कियों के मामले में डर पोक हूं।आज लग रहा था कि शायद थप्पड़ पड़ने वाला है।

हेल्लो, मैं मुग्धा। मैं आपके सामने वाले घर में रहने अाई हूं।

हां रोज़ मैं आपको ही देखता..मेरा मतलब है देखा है आपको कभी कभी।मैंने बात संभालते हुए कहा।

मैं अभी नई ही हूं इस शहर में। आप मुझे बता सकते है कि यहां नजदीक में ए टी एम है।

हां हां।ये दो गली छोड़ कर ही है।आप कहें तो मैं स्कूटी पर आपको ले जाऊं।मैंने डरते डरते सवाल किया।

जी नहीं ।पास में ही है तो मैं पैदल ही चली जाऊंगी।थोड़ा टहलना हो जाएगा।आपका शुक्रिया।

मुग्धा ।कितना प्यारा नाम है ना।पहली बार किसी लड़की से बात हुई।

अब रोज़ ही बालकनी में मुग्धा से नज़रे मिल जाती थी ।वो बस हल्का सा मुस्कुरा देती ।उसका चेहरा भी खिल जाता था।उसके घर से संगीत की आवाज़ आती थी शायद वो भी मेरी तरह संगीत प्रेमी थी।

लेकिन कुछ दिनों से मुग्धा मुझे दिखी नहीं।दिल में बेचैनी बढ़ रही थी।सोचा उसके घर चले जाऊं लेकिन हमारी तो अब तक ठीक से दोस्ती भी नहीं किस हक से जाऊं।

सोचा आस पास वालों से पता करू।तो पता चला दो दिन पहले उसकी सगाई हो गई है।दिल टूट सा गया मेरा ।आंखो में बरबस ही आंसू निकलते जा रहे थे।मुग्धा का भी क्या दोष मैंने कभी उसे कुछ कहा ही नहीं।

बारिश ने भी मेरे आंसू छिपाने में मेरा साथ दिया।लग रहा था आसमां से भी उसका प्रियतम छीन गया है वो भी आज टूट कर रो रहा है।

मुझे मुग्धा दिखाई दी।बारिश में अपने घर की छत पर।आज गहरे लाल रंग का सूट पहन रखा है।लग रहा है बारिश में किसी ने आग लगा दी हो।पूरी भीगी हुई मुग्धा अपने आप में मगन हो बारिश में मोरनी की तरह नाच रही थी।कुछ उसका भी टूटा था शायद अपना दर्द अपने नृत्य से झलका रही थी।बारिश भी उसका भरपूर साथ दे रही थी।

रोक ना पाया मैं अपने आप को ,चल दिया उसकी ओर।वो भी टकरा गई मुझसे,देख पा रहा था बारिश से भीगी उन आंखों को जो कल रात बहुत रोए है।सर से पैर तक भीग चुकी मुग्धा लाल रंग में दुल्हन से कम नहीं लग रही थी।

तुमने बालकनी में आना बंद क्यों कर दिया मुग्धा।

खुद को रोकने के लिए।तुमसे दूर होने के लिए।मेरी सगाई हो चुकी है।तुम्हें देखती हूं तो मेरा दिल चाहता है पूरी ज़िन्दगी तुम्हारे साथ रहूं।

मैं भी तुम्हारा साथ चाहता हूं ।हमेशा हमेशा के लिए। मैं तुम्हें अपने दिल की बात नहीं कह पाया।पर मैं ज़िन्दगी भर तुम्हें प्यार करूंगा। शादी करोगी मुझसे।

वो बारिश हमारे प्यार की साक्षी बनी।आज शादी के पंद्रह साल बाद भी मुग्धा का वो भीगा भीगा रूप मेरे दिल में बसा हुआ है।हम दोनों मिल कर बच्चों को संगीत ओर नृत्य की शिक्षा देते है।

©️®️ वर्षा अभिषेक जैन


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