ये बारिश नहीं , ये मायाजाल है

Poem

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Varsha Abhishek jain
Varsha Abhishek jain 17 Jul, 2020 | 0 mins read

तुम इसे बारिश कहते हो, मैं इसे माया जाल कहता हूं।

ये तो बहरूपिया है,लोगों को ठगता है।

बच्चों के लिए मस्ती का जरिया है,

तो प्रेमी प्रेमिका के लिए मिलन का दरिया है,

जो प्रियतम से दूर है ,उनके लिए विरह की आग है

टूट दिल के लिए बारिश दर्द छुपाने का राग है।

पति के लिए पकोड़ो चाय की सौगात है,

पत्नी के लिए भीगते कपड़ो को बचाने की बात है

जो घर में बैठे हुए उनके लिए बारिश खुशनुमा है

जिनके छत नहीं उनके लिए रात गुजारने की दुआ है।


तुम इसे बारिश कहते हो

अरे ये तो माया जाल है।





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