चलो एक दूजे को ढूँढें

चलो एक दूजे को ढूँढें

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Bhavna Thaker
Bhavna Thaker 20 Feb, 2022 | 1 min read

चलो आज ठहरी हुई कुछ यादों को गुलज़ार करें

तुम मुझे सोचो, मैं तुम्हें याद करुँ

बर्फीली वादियों में एक दूजे का हाथ थामें चलते रहे मौन की आहटों में 

सिर्फ़ धड़कन सुनें...


टुकूर-टुकूर तुम मुझे तको मैं मंद-मंद मुस्काऊँ

देवदार के साये तले इश्क के चलो नग्में होदराए

चिनार से छनकर आती किरणों में 

मैं छवि तुम्हारी देखूँ 

देखो तुम मुझे शाँत झील में 

हथेलियों में मैं चेहरा छुपाऊँ....


ढूँढो मुझको पंछियों की हल्की चहचहाटों में, बावरी मैं ढूँढूं तुमको बारिश की बूँदों में 

बूँद बूँद में तुमको पीऊँ पीते जाओ तुम मुझको....

 

चाँदनी रात में शबनम मैं ओर तुम पत्ता बन जाओ, रुक-रुक थम-थम में गिरूँ 

तुम आगोश में अपनी थामों...

 

सुबह शाम जब बहती है शंखनाद सी गुँजें मंदिर मस्जिदों से,

ढूँढे चलो एक दूजे को आरती अज़ानों में।

भावु।

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