जीवन का दरिया

जीवन का दरिया

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Bhavna Thaker
Bhavna Thaker 13 Dec, 2020 | 1 min read
Prem Bajaj

लहरें उठती है आसमान सी ऊँची जीवन का दरिया बड़ा असीम है 

तट नहीं कोई महफ़ूज़ मेरे हिस्से का 

कहाँ बैठकर खुशियों की राह तकूँ।

 

हर तरफ़ बिहड़ जंगल है शोर का नहीं कोई शामियाना शीत फूलदल का 

जहाँ सो कर सुकून के कतरें बटोर सकूँ।

 

है ज़िंदगी तो ऐसी ज़िंदगी क्यूँ है कट तो रही है ज़ालिम सिर्फ़ साँस लेने की रिवायत ज़ारी है 

हंसी के बंज़र बादलों को कहाँ ढकूँ।


कहाँ सबको सबकुछ मिलता है यहाँ लकीरों के धनी में हम कहाँ आते है 

मुठ्ठी में कैद सपनों की बदबूदार लाशों को कहाँ रखूँ। 


मीठा आबशार तो कभी मिला नही

मिलती है हर बार कडवाहट की किरकिरी  

ज़ायका दिल की जुबाँ का उब चुका है और कितनी बार दर्द चखूँ।

#भावु

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