चाँद में वो बात कहाँ

वो बात कहाँ

Originally published in hi
Reactions 0
418
Bhavna Thaker
Bhavna Thaker 29 Oct, 2020 | 1 min read
Prem Bajaj

आज चाँद की किरणों में वो बात कहाँ

दबे पाँव बहती रात के सन्नाटे से घिरी यादों की पुरवाई स्वप्न मंजूषा को रौंद रही है।

 

सबकी दुआ उस चौखट तक जाती है मेरी क्यूँ दुनिया के शोर में दब जाती है, 

कहाँ हो तुम इस सूने मंज़र में याद बहुत आते हो।


छूना नसीब नहीं बस लिखकर अपनी रचनाओं में तुम्हें गुनगुना लेती हूँ, 

फासलों का तजुर्बा नहीं हार गया तन-मन तुम्हें पुकारते 

बिसार कर तुम्हें मर जाऊँगी।


तन सोता है रिवाज़ निभाते पर मन जगता रहता है, दिल बेचारा जुदाई का मारा आँसूं पी लेता है,

तुम क्या गए खुशहाल हलचल सी ज़िंदगी में विरानी भर गए।


मन में बसी गोप प्रीत नयन तक रही 

पीर क्या कहूँ यादों के पृष्ठ पर संवेदना मिटती रही,

तुम्हारे इश्क में तड़पते उर्मिला बनी, तुमसे प्यार करके भी मैं क्यूँ हरदम एकल ही रही।

#भावु

0 likes

Published By

Bhavna Thaker

bhavnathaker

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.