मैं वर्जिन हूँ

मैं वर्जिन हूँ

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Bhavna Thaker
Bhavna Thaker 18 Nov, 2020 | 1 min read
Prem Bajaj

क्या ताउम्र अनछुई अखंड़ित रहूँगी?

चुटकी सिंदूर से सजी मांग लिए फिरती हूँ गले का मंगल सूत्र गवाह है।

माली ने सिंचा भी तन को भोगते शादी महज़ सौदा थी। कली से फूल तो बनी दस साल में दो बच्चें भी पैदा किए ये शादी के सर्टिफिकेट है प्यार के नहीं..

"मैं आज भी वर्जिन हूँ"

अनछुई कली सी, स्पर्श रहित मन से परे तन से भोगी गई। पिता के आदर्शों की बलि चढ़ी, माँ की ममता से भिन्न रही, भाई की जोहुकूमी के आगे हारी, प्रेमी की लुभावनी अदाओं में उलझी रही पति की तन की भूख के आगे परोसती रही खुद को। मैं मन से वर्जिन हूँ कहाँ कोई पहुँच पाया वहाँ तक...

हृदय के मंथन से उभरा है आज दर्द का मक्खन।हर किसीने तन को छुआ मैं चाहती हूँ कोई मेरे अनछुए एहसास को बिंध कर मुझे तार-तार करें।

मेरे उर में पड़े अखंड भावनाओं के पर्दे को चीरकर कोई मुझे छूकर मेरे वजूद को महसूस करें मुझ तक पहुँचे। 

"मैं वर्जिन हू, भूखी हूँ" अपनेपन से, प्यार से, कोमलता से कोई मेरे स्पंदन को सौहार्द भाव से सहलाए कोई मुझ तक पहुँचे। काया से परे कुँवारे मन से ब्याहकर मेरी भावनाओं के किवाड़ खोलकर कोई मुझे समझे। मैं खिलना चाहती हूँ एक बंद, अनछुई वर्जिन कली हूँ कोई तितर बितर करके मुझे भीतर से बिखेर दे मैं वर्जिन हूँ कोई मुझे खंडित करें।

(भावना ठाकर, बेंगुलूरु)#भावु

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Bhavna Thaker

bhavnathaker

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Prem Bajaj · 3 years ago last edited 3 years ago

    Absolutely right, well penned 👍👍

  • Shubhangani Sharma · 3 years ago last edited 3 years ago

    Such a beautiful thought..A fact...❤️❤️

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