करीब आ

करीब आ

Originally published in hi
Reactions 0
385
Bhavna Thaker
Bhavna Thaker 29 Oct, 2020 | 1 min read
Prem Bajaj

चाँद के कंदील की रोशनी तले बादलों की चारपाई पर बैठे

आ करीब तो थोड़ा गुफ़्तगु में डूबें 


मैं आँचल ओढ़ लूँ तुम्हारा तुम पनाह मेरी पा लो मैं तुम्हारी गेसूओं की महक में खो जाऊँ तुम मेरी साँसों की लय में बसों


आहिस्ता से उठाकर चिलमन पलकों की तुम मेरे आँखों में ढलों 

मैं भँवरे सा हौले से तुम्हारे गुल से लबों पर ठहरूँ 


लबों की सुराही खोलो चार बूँद चख लूँ 

रात के हर पहर को डूबोकर प्रीत की चाशनी में इस रात को सुहाग की रात कर लें


मिला मेरे हाथ से अपनी नाजुक हथेलियों को ज़िंदगी की रागिनी पर गुनगुनाते इश्क की रंगीनियों को मिलकर थोड़ा और मदहोश कर लें।

#भावु

0 likes

Published By

Bhavna Thaker

bhavnathaker

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.