शादी की परिभाषा

शादी की परिभाषा

Originally published in hi
Reactions 0
674
Bhavna Thaker
Bhavna Thaker 09 Nov, 2020 | 1 min read
Prem Bajaj

(शादी की परिभाषा)

शादी कोई खेल नहीं एक बहुत बड़ी कमिटमेन्ट और ज़िम्मेदारी होती है। माँ ने कहा अब शादी कर ले, बहन ने कहा भैया अब मुझे भाभी चाहिए, या कोई कहे की उम्र के रहते शादी हो जानी चाहिए, तो क्या ये सारी वजह होनी चाहिए शादी करने की? शादी क्या निपटा लेने का नाम है कि चलो कर ली बात ख़त्म।

ना, शादी तब करनी चाहिए जब दिल से, मन से आप तैयार हो सेटल होने के लिए। शारीरिक जरुरियात के चलते नहीं बल्कि जब ये लगे की क्या मैं किसी एक व्यक्ति की जिम्मेदारी उठाने के काबिल हूँ ? क्या किसी एक व्यक्ति को मैं ताउम्र शिद्दत से चाह सकता या चाह सकती हूँ? क्या मैं उस इंसान के साथ उसका हाथ थामें बुढ़ा हो सकता या हो सकती हूँ? क्या मैं अपने बच्चों को उसका साथ लेकर पाल सकता या पाल सकती हूँ? या किसीको अपनी ओर से भरपूर अपनापन या सूख दे सकता या सकती हूँ? ये सब सोचने के बाद जब दिलों दिमाग से रज़ामंदी मिले तब बस ये वजह होनी चाहिए शादी करने की,

"लिव इन मैं नहीं लव इन में जिओ" शादी की तीन शर्ते स्नेह, सन्मान, सत्य जब मंज़ूर हो तब एक कामयाब रिश्ता जुड़ता है।

दांपत्य कितना प्यारा शब्द है, दो लोग जब एक दूसरे पर भरोसा करके अखंड जीवन की नींव रखते है देह, मन ओर आत्मा जब जुड़ते है तब एक अलौकिक रिश्ता बनता है। अगर ठीक से समझे तो शादी की विधीयों के मायने बड़े मजेदार होते है। चार फेरे होते है धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष पहले तीन फेरे में पति आगे रहता है ओर आख़री फेरे में पत्नी,

पहले तीन फेरों में पत्नी पिछे रहती है इसका मतलब है पत्नी पति के पदचिन्ह पर चलकर पग पग साथ और सहारा देती है तभी पति अपने सारे कर्तव्य निभाने में कामयाब रहता है। तभी कहा गया है की एक कामयाब पुरुष के पिछे एक स्त्री का भी हाथ होता है।

मोक्ष के फेरे में स्त्री आगे रहती है  सर्जनात्मक शक्ति ईश्वर ने स्त्री को दी है। एक जीव को अपनी कोख में पालकर कूल को आगे बढ़ाती है इति कुलवधू। हार पहनाने की विधी परिभाषित करती है की जीवन भर एक दूसरे का सन्मान करते रहेंगे कटू वचन से आहत नहीं करेंगे, फूलों से कोमल बोल से एक दूसरे को नवाजते रहेंगे।

ओर सिंदूर मांग में ही क्यूँ भरते है ? क्यूँ कहीं भी लकीर नहीं खिंच लेते? सर के उपरी सतह में ब्रह्मार्द्र है , गीता में लिखा है उर्ध्व मूल मध:शाख। एक इंसान ही एक है जिसके मूल उपर सर में ओर शाखाएँ नीचे की तरफ विस्तृत है।

इसी मूल से जुड़ता है रक्त वर्ण सिंदूर ओर सजता है दांपत्य का शामियाना।मंगलसूत्र क्यूँ काले मनके से बंधा होता है ? ताकि इस दांपत्य को, भावनाओं को, इस प्यारे से रिश्ते को किसीकी बुरी नज़र ना लगे।

शादी के बंधन से जुड़ तो जाते है, पर इस रिश्ते को निभाना कठिन भी है। किसीकी पसंद बन जाना बहुत आसान है पर आजीवन किसीकी पसंद बने रहने के लिए बहुत पापड बेलने पड़ते है साहब। जिसके साथ पूरा जीवन बिताना है उसके दोष ओर कमियों को ना गिनते हुए गुणों का मुआयना हर रोज़ सुबह उठकर किया जाए तो कभी एक दूसरे के प्रति अभाव नहीं आ सकता। मैं को परे रखकर हम हो जाएँगे तभी दांपत्य जैसे पवित्र रिश्ते को न्याय दे पाएँगे। शर्तो को को नज़रअंदाज़ करके समर्पित भाव की क्षितिज पर चलते रहें। मन में, वर्तन में, शब्दों में बार-बार दोहराते जाएँ अपने साथी को महसूस कराते रहिए की मैं तुमसे बहुत प्यार करता या करती हूँ तुमसे ही मैं हूँ क्यूँकी प्रेम करते रहना ओर पसंद बने रहना बहुत जरूरी है।

एक कामकाजी पत्नी कितनी भी ऊँची पोस्ट पर क्यूँ न हो पति के शर्ट में बटन लगाकर दांतों से धागा तोड़ना जो सुख देता है वो उसके लिए असीम होता है।

ओर कभी कभार सरप्राइज़ के तौर पर पति की तरफ़ से मिला 10 रुपये का गजरा भी किसी किंमती तोहफे से भी अनमोल लगता है। और कभी पत्नी की तरफ़ से पति का मनपसंद खाना बनाकर सरप्राइज़ देना पति को किसी पंचतारक होटेल के खाने से भी ज़्यादा मजा देता है। अगर रिश्ते में उष्मा चाहिए ओर प्यार का ए टी एम कार्ड रोज़ घिसते रहना है तो ये सारी छोटी-छोटी डिपोज़ीट जमा करवाते रहिए। तभी एकाउंट चलता रहेगा और सुखी दांपत्य का भरपूर आनंद मिलता रहेगा।।

(भावना ठाकर,बेंगुलूरु) भावु

0 likes

Published By

Bhavna Thaker

bhavnathaker

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.