"सद्विचार"

वृद्धों का सम्मान करें

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Bhavna Thaker
Bhavna Thaker 16 Oct, 2020 | 1 min read
Prem Bajaj

"सद्विचार"

विधा ओर देव की नई नई शादी हुई दोनों बेहद खुश थे। देव अकेला ही है दो साल पहले ही प्लेन क्रेश में उसके पापा मिस्टर डाक्टर आनंद ओर मम्मी शालीनी चल बसे।

देव के पापा डाक्टर थे तो देव को भी मेडिकल में एडमिशन दिलवा कर हार्ट स्पेश्यालिस्ट बनाया ताकि आगे जाकर अपनी हॉस्पिटल संभाल सके।

देव के मम्मी पापा के गुज़र जाने के बाद देव बिलकुल अकेला हो गया। सारे सुख थे न धन दौलत की कमी, न ओर कोई परेशानी पर अकेलेपन ने देव को डिप्रेश कर दिया। तो देव के मामा संजीव वर्मा जी ने सोचा देव की शादी हो जानी चाहिए वरना लड़की टूट जाएगा। तो उन्होंने अपने साले की बेटी विधा से देव की शादी की बात चलाई। दोनों एक-दूसरे को पसंद आ गए तो चट मंगनी ओर पट ब्याह भी हो गया। अब देव विद्या के साथ खुश रहने लगा कुछ दिन हंसी खुशी बीत गए। देव वापस हास्पीटल में बीज़ी हो गया, पर विधा घर पर अकेली बोर हो जाती थी। देव के घर आते ही फरियाद का पिटारा खोल देती थी, मैं क्या करुँ अकेली तुम जल्दी घर आया करो वगैरह। 

कुछ समय बाद देव के मम्मी पापा की बरसी थी तो देव ने सोचा उस दिन वृध्धाश्रम में जाकर कुछ चीजों का दान कर दूँ। कुछ कपड़े, बेडसीट ओर जो वहाँ की जरुरत हो। देव ओर विधा सारा सामान लेकर गए वृद्धाश्रम। पर दोनों की आँखें भर आई वृद्धों की हालत देखकर।

देव ओर विधा को एक साथ एक ही खयाल आया। देव ने विधा से कहा तुम हर रोज़ फरियाद करती हो ना की तुम अकेले बोर हो जाती हो तो क्यूँ ना हम यहाँ से माँ बाप को एडाप्ट करें। उनको घर मिल जाएगा हमारी माँ बाप की कमी पूरी हो जएगी। और तुम्हें कंपनी भी मिल जाएगी। विधा खुश होते बोली देव तुमने मेरे मन की बात कह दी। बस अब जल्दी से माँ बाप को घर ले आते है। देव ने वृध्धाश्रम के ट्रस्टी से बात की और जो दो पति पत्नी थे उनको एडाप्ट करने की इच्छा जताई।

ट्रस्टी भरत भाई की आँखें भर आई और बोले बेटा आज तक यहाँ बेटे-बहू माँ बाप को छोड़ने आया करते थे आज पहली बार कोई बेटा-बहू माँ-बाप ले जाने के लिए आए है इससे बड़ी खुशी की बात और क्या हो सकती है।भगवान तुम जैसा बेटा-बहू सबको दें।

आज एक वृद्ध दंपत्ति को घर परिवार मिला है ओर एक बेटे-बहू को मा-बाप का प्यार। सब हंसी खुशी रहते है, विधा को खुश देखकर देव भी खुश है दिल में एक संतोष लिए। भरत भाई मन ही मन बोलते है ऐसी सुबुद्धि भगवान सबको दे ताकि समाज से वृध्धाश्रम जैसा कलंक नश्तेनाबूद हो जाए।।

(भावना ठाकर, बेंगुलूरु)#भावु

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