काश! मेरे पास टाइम मशीन होती

काश रफू कर सकूं अपनी गलतियों से भरे दामन को

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Avanti Srivastav
Avanti Srivastav 08 Apr, 2021 | 1 min read
Fiction



शीर्षक: काश! ऱफू कर सकूं जिंदगी के दामन को


जीवन के इस मोड़ पर जब कोई कहे कि जाओ यह जो दामन फाड़ा है उसे ऱफू कर आओ तो मन वाकई सरपट भागे जा रहा है......

 एक घटना जिसने उस समय हिला के रख दिया था 

  वह है " भोपाल गैस दुर्घटना " ।


बदल सकुं तो पीछे जाकर इस गैस दुर्घटना को रोक दूं कि आज भी ज़ख्म हरे से ही हैं सब पीड़ितों के ....कि किसी के लालच ने हजारों लाखों को कीड़े मकोड़ों सी मौत दी थी।


फेल कर दुं प्लास्टिक का आविष्कारी मंत्र की ना यह बनता न पृथ्वी का यह सौंदर्य बिगड़ता ....सागर तल से लेकर  एवरेस्ट तक पटा पड़ा है कभी न खत्म होने वाले इस कचरे से।


आजकल जो सबसे ज्यादा गम सैलाता है वह है डॉक्टर ना बन पाना।

इस समय जब डॉक्टरों को फ्रंट लाइन में रहकर करोना के पेशेंट्स का इलाज करते हुए देखती हूं तो बहुत कोफ्त होती हैं अपनी गलती सज़ा सी लगती हैं। बेबसी मुझे घेर लेती है कि काश ...मैंने डॉक्टरी पास कर ली होती !

 सपना तो यही था कक्षा सातवीं से मगर जिस चीज ने मुझे फेल किया वह था टाइम मैनेजमेंट। मैं बहुत पढ़ती थी मगर डॉक्टरी की प्रवेश परीक्षा केवल पढ़ाई से नहीं हल होती यहां आपको समय सीमा में रहकर काम करना होता है जो मैं उस समय ना समझ पाई अब जो पीछे लौटी तो इस गलती को ना दौहराऊंगी।


कई चीजें हम उस वक्त तो नासमझी में कर लेते हैं और वह सही भी लगता हैं मगर जब समझदार होते हैं तब पता चलता है कि हम कितने गलत थे.... जैसे मां के ना देखने पर आधे ही पिए दूध के गिलास में पानी डालकर सिंक पर रख देना उस समय तो सही ही लगता था पर अब खुद मां हूं तो जानती हूं कितना गलत था।

 अब जो लौटी बचपने में तो पूरा दूध खत्म करूंगी मां! कि जानती हूं उस में तुम्हारे हिस्से का भी होता था जो तुम हम पर लुटा देती थी।


बदल सकुं तो बदल दूं वह झूठ बोलना टीचर से कि मैम हमने होमवर्क किया है और मैम का बिना देखे ही मुझे बैठा दूसरे बच्चे को सजा दे देना अब गाल पर थप्पड़ सा लगता है हाय ! कैसे विश्वास को छला था?




स्वरचित व मौलिक

अवंति श्रीवास्तव

8/4/21

 

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Avanti Srivastav

avantisrivastav

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Hem Lata Srivastava · 3 years ago last edited 3 years ago

    Bahut sundar

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    आपकी अन्य रचनाओं की भाँति यह रचना भी बेहद उत्कृष्ट है

  • Avanti Srivastav · 3 years ago last edited 3 years ago

    Thankyou so much kumar Sandeep

  • Deepali sanotia · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत सुन्दर रचना है

  • Avanti Srivastav · 3 years ago last edited 3 years ago

    Thanks dear ❤️❤️

  • Sonnu Lamba · 3 years ago last edited 3 years ago

    बेहतरीन

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