शीर्षक: पालनकर्ता

पिता व पुत्र का नजरिया

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Avanti Srivastav
Avanti Srivastav 29 Jan, 2021 | 1 min read



"नहीं ......नहीं मुझे इंजिनियर नहीं बनना मैं मेकअप मैन बनना चाहता हूं।"

" आपको तो पता है पिताजी...... बचपन में रामलीला के सारे किरदारों का मेकअप मैं ही करता था, उस किरण को कितना सुन्दर रूप देता था सीता माता का......."

" बकवास बंद करो........ तुम्हारे लिए मैंने अपना आधा खेत गिरवी रख निजी कालेज में प्रवेश का जुगाड़ किया है और तुम यह बहकी-बहकी बातें कर रहे हो...."।

मगर पिताजी मेरा मन इंजिनियरिंग में नहीं लगता...

                  

"  चुप रहो...... मैं तुम्हारा सृजनकरता व पालक हूं। मेरी वजह से ही तुमने यह जीवन पाया है..... समझे! तुम्हें मेरा कहा मानना ही होगा " ।


" पिताजी! हम सब का सृजनकरता तो वह सर्वशक्तिमान सृष्टि रचयिता है पर वह हम पर अपनी इच्छाएं नहीं थोपता उसने तो हमें स्वयं को खोजने के लिए स्वतंत्र छोड़ दिया है।" 



स्वरचित का मौलिक 

अवंती श्रीवास्तव

22/1/21


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