कोरे पन्ने

मन का भीगना दरअसल उतना ही ज़रूरी है जितना मन के एक हिस्से का कोरा रह जाना !

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ARCHANA ANAND
ARCHANA ANAND 01 Sep, 2020 | 1 min read
#poetryblast

ज़िन्दगी की किताब लिखते हुए

अक्सर छूट जाते हैं कुछ कोरे पन्ने

समय साक्षी है कि इन्हीं पन्नों पर अक्सर

लिखी जाती हैं जीवन की सबसे अनमोल कविताएँ

ठीक वैसे जैसे धरती के सबसे अछूते हिस्से पर ही

खिलते हैं धरती के सबसे सुंंदर फूल

या फिर झमाझम बारिश के बाद

रूपहले शुभ्रनील आकाश पर

उग आता है एक सलोना सा इन्द्रधनुष

मन का भीगना भी दरअसल

उतना ही ज़रूरी है जितना कि 

मन के एक हिस्से का कोरा रह जाना !


©अर्चना आनंद भारती

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ARCHANA ANAND

archana2jhs

Comments

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  • Sonnu Lamba · 3 years ago last edited 3 years ago

    वाह

  • ARCHANA ANAND · 3 years ago last edited 3 years ago

    शुक्रिया दोस्त

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