मनुष्यता

मनुष्यता के मिथ्याभिमान को रेखांकित करती मर्मस्पर्शी कविता

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ARCHANA ANAND
ARCHANA ANAND 19 Feb, 2021 | 1 min read
#1000poems

तितलियों के हमने पंख नोचे

फूलों से छीन ली सुगंध

रेशम कीटों से रेशम छीना

मधुमक्खियों से छीना शहद

सीपियों से मोती छीने

वनों से छीन लिए वृक्ष,वन्यजीव 

और हरियाली

ताकि बची रहे हमारी मनुष्यता

मनुष्यता मनुष्येतर दुनिया में

बर्बरता की समानार्थी है!

©अर्चना आनंद भारती

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ARCHANA ANAND

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