शज़र

रंगीन नज़ारों में ये मदहोश हुए लोग यहाँ ऐसी बातों की नहीं करता फ़िकर कोई ...हिन्दी उर्दू शाखा में लिखी गई एक मर्मस्पर्शी रचना

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ARCHANA ANAND
ARCHANA ANAND 01 Sep, 2020 | 0 mins read
#poetryblast

फिर आज गिर पड़ा है चमन में शज़र कोई

बेजुबानों पर भी देखे ज़रा इंसां का कहर कोई

टूटी हुई उस शाख़ पर परिंदा भी बसा था

ख़बरों की भीड़ में खोई ज़रा सी ख़बर कोई

हर शख़्स परेशां है इस मसरूफ़ शहर में

यहाँ ऐसी बातों की नहीं करता फ़िकर कोई

रंगीन नज़ारों में ये मदहोश हुए लोग

मज़लूमों पे जाती नहीं इनकी नज़र कोई

देखी ये बेरुख़ी तो गाँव याद आ गया

इन मुर्दा एहसासों में नहीं अपनी बसर कोई!

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