गंधर्व

प्रेमिकाएँ अभिशप्त अप्सराएँ हैं और प्रेम कुटिल मंद परिहास करता कोई मायावी गंधर्व... एक प्रेम कविता

Originally published in hi
Reactions 1
374
ARCHANA ANAND
ARCHANA ANAND 01 Mar, 2021 | 1 min read
#1000poems

उपेक्षा की चोट सहकर

घृणा के घाव धोकर

फिर दिप् दिप् निखर आता है

प्रेमिकाओं का चेहरा

शीशे में दिखता है केवल प्रेम

प्रेमिकाएँ अभिशप्त अप्सराएँ हैं

और प्रेम मंद कुटिल परिहास 

करता कोई मायावी गंधर्व

जो परकाया प्रवेश के पूर्व

हर बार बदल लेता है

अपना स्वरूप!

©अर्चना आनंद भारती

1 likes

Published By

ARCHANA ANAND

archana2jhs

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.