ख़लिश

ये होता है तो ये होता क्यों है? जज़्बातों को कागज़ पे उकेरा हमने, जो फुर्सत हो तो पढ़िए न!

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ARCHANA ANAND
ARCHANA ANAND 09 Feb, 2021 | 0 mins read
#1000poems

एक ख़लिश सी हर सूं क्यूँ है?

ये होता है तो होता क्यूँ है?

जाने वाले तो जाते ही हैं

दिल भला हर बार फिर रोता क्यूँ है?

ताल्लुक़ ख़त्म हुए तो सालों गुज़रे,

एक एक पल भला फिर इस तरह भारी क्यूँ है?

वो तो खाली हाथ ही गुज़रा यहाँ से,

दिल के भीतर भला ये खालीपन क्यूँ है?

ये बेमुरव्वत मोहब्बत भला क्यूँ कम नहीं होती?

ये दिल सदा काफ़िर बना फिरता क्यूँ है?

©अर्चना आनंद भारती


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ARCHANA ANAND

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