त्रासदी

जीवन को छूती हुई, मृत्यु को परे धकेलती त्रासदयुगीन क्षणिकाएँ

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ARCHANA ANAND
ARCHANA ANAND 16 May, 2021 | 1 min read
#lifetales #poetryblast #Current affairs



१. पवित्र जीवनदायिनी नदियों में बहते हुए 

  शव बताते हैं कि कितनी भयावह है

  नदी के समुद्र हो जाने की यात्रा!


२. इस त्रासद काल से पहले कौन जानता था

  कि एक दिन चैन की मृत्यु भी 

  लग्जरी बन जाएगी!


३. नदी में बहते शव बताते हैं कि

  कुछ लोगों का जीवन मृत्यु से भी

  अधिक त्रासद होता है!

           उन अभागों के परिजन

  कभी दोहरा नहीं पाएंगे 'जल ही जीवन है'


४. आज हमने जब बुद्ध को लगभग

  सिरे से ख़ारिज कर दिया है, ऐसे में

  यह आपदा संकेतों में कह रही है

  'प्रकृति के लुटेरों, ठहर जाओ'

 

५. प्रार्थना में उठे हाथ इन दिनों

  सहज मृत्यु पहले मांगते हैं, जीवन बाद में

  ओ ईश्वर! यह हार जीवन की बाद में है

  पहले तुम्हारी है!


६. हर जाती हुई साँस कहती है कि

  मृत्यु अवश्यंभावी है

  हर आती हुई साँस कहती है कि 

  जीवन निर्विवादित सत्य है!


 ©अर्चना आनंद भारती

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