निर्विकार

अपने रक्त, अस्थि मज्जा से निर्मित अंश पर किसी का एकाधिकार होना... स्त्री से सीखे कोई निर्विकार होना

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ARCHANA ANAND
ARCHANA ANAND 04 Feb, 2021 | 0 mins read
#1000poems

अपनी देह,रक्त, अस्थि मज्जा से निर्मित

अपने ही अंश पर किसी पुरुष का एकाधिकार होना

एक स्त्री से सीखे कोई निर्विकार होना

दिवाकर के घूमते रथ के साथ एक घर में

स्वयं को खपाते हुए विलीन करना

और उस घर पर किसी और का

आधिपत्य स्वीकार होना

एक स्त्री से सीखे कोई निर्विकार होना

सर्वगुण संपन्न व्यक्तित्व की स्वामिनी का

स्वयं को किसी की अर्धांगनी अंगीकार होना

एक स्त्री से सीखे कोई निर्विकार होना!


©अर्चना आनंद भारती


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