प्रेम और माटी

इस भीगी माटी की सुगंध में तैरती हैं कुछ अदृश्य कविताएं, कुछ अमिट पदचिह्न जो कभी हमारे तुम्हारे साझा बने थे ...चिर शाश्वत प्रेम पर लिखी मिट्टी सी सोंधी कविता

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ARCHANA ANAND
ARCHANA ANAND 29 Aug, 2020 | 1 min read
#poetryblast

प्रेम और माटी


भीगी माटी की सुगंध प्रेम की अनुभूति देती है

ओस से गीली माटी, प्रेम की भीनी सुगंध

या बारिश से पूरी तरह भीगी, प्रेम रस से सराबोर

इस सोंधी माटी में तैरती है एक अतृप्त सुगंध

प्रेम की मख़मली अनुभूति की

इस भीगी माटी की सुगंध में

तैरती रहती हैं कुछ अदृश्य प्रेम कविताएँ

और दूर-दूर तक दिखाई देते हैं 

कुछ अमिट पदचिह्न, जो मेरे-तुम्हारे साझा बने थे

समय की हथेली पर

तमाम झंझावातों से गुज़र कर भी वो

उतने ही अमिट हैं, उतने ही अक्षुण्ण

बताते हुए कि प्रेम शाश्वत सत्य है

उतना ही जितनी कि ये भीगी माटी

चराचर, अंतिम, पूर्ण सत्य!

©अर्चना आनंद भारती

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ARCHANA ANAND

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Comments

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  • Sonnu Lamba · 5 years ago last edited 5 years ago

    बहुत सुन्दर

  • Sonia Madaan · 5 years ago last edited 5 years ago

    Wah

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