गुरु द्रोण ने छला निष्ठा के मार्ग से
एक निर्दोष भोले अरण्यक को
अरण्यक जो उन्हें अपना गुरु मानता रहा
और स्वयं छले गए अपने ही
एक शिष्य के हाथों
शिष्य, विश्व जिसे धर्मराज मानता रहा
अश्वत्थामा की सभी प्रचलित दंतकथाएं
केवल दंतकथाएं नहीं
उन अगणित भोले अरण्यकों की सम्मिलित
करुण आहें हैं जो आगे जाकर
एक क्रूर आदिम व्यवस्था की समिधा बनेंगी!
मौलिक एवं स्वरचित
अर्चना आनंद भारती
आसनसोल, पश्चिम बंगाल
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Beautiful
Really great
V. Nice
Sonnu Lamba, Navneeth and indu in shail, thank you so much guys 💕
अतिसुंदर। विषय भी बहुत प्यारा है
Wow!
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बहुत धन्यवाद @Moumita Bagchi
Thank you @Vrinda s. Chauhan
Thank you @Pallavi verma
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