#पेपर विफ बाल कथा "विकास की योजना"

परोपकार ही सबसे बड़ा धर्म है। विकास ऐसा ही वफादार बालक है।

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स्वरचित बाल कहानी

शीर्षक-"विकास की योजना"


- मम्मी! कॉलोनी के हम सब बच्चों ने यह तय किया है कि हम सभी अपने पुराने गरम कपड़े और स्वेटर वगैरह इकट्ठे करके जरूरतमंदों की मदद करेंगे।

मुंडेर पर रखे मिट्टी के बर्तन में पानी भरकर पक्षियों को दाना डालते हुए विकास बोला।

- वाह! यह तो बहुत अच्छी बात है. आज ही मैं तुम्हारे कुछ कपड़े और स्वेटर निकालती हूं।

काॅलोनी के पार्क में सांध्यकालीन सैर करके लौटी विक्की की माॅम और उनकी सहेलियां गेट पर जलते अलाव को घेरे बच्चों और गली के कुत्ते शेरू को घेरा बनाकर देखकर सुखद आश्चर्य से भर गईं।अनीता आंटी बच्चों को संबोधित करते हुए बोलीं- अरे बच्चों! आज तो सचमुच बहुत ठंड है। तुम सबने यह तो बहुत अच्छा काम किया।

- अरे वाह! आपने तो शेरू को भी स्वेटर और गर्म टोपी पहनाई है।चलो अब बेचारे को ठंड भी नहीं लगेगी। पूरी कॉलोनी की रखवाली करता है आखिरकार हमारा वफादार शेरू!

- जीआंटी!आज क्रिसमस मनाने के लिये हमने सभी घरेलू सेविकाओं और उनके बच्चों को गर्म कपड़े,जूते,मोजे,टोपी भी वितरित किये हैं।सभी आज कोई न कोई नृत्य,गीत गायन जैसे कार्यक्रम आयोजित करेंगे।हमने सभी काॅलोनी वासियों को आमंत्रित भी किया है।

-ठीक है,तो हम भी उपहार लेकर जल्दी आते हैं बस।

ढेर सारे फल, मिठाई, चॉकलेट और टोफियां ले ले कर लोग इकट्ठे होने लगे।

विकास को अपनी इस योजना पर सुखद अनुभूति हो रही थी।

वर्मा अंकल ने तो सबके बीच घोषणा करके उसे "आदर्श बालक" की उपाधि देकर पुरस्कार भी प्रदान किया।

तालियों की गड़गड़ाहट के बीच परोपकारी बालक विकास बहुत खुश था। 

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रचयिता-डा.अंजु लता सिंह, नई दिल्ली


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