Title#"गुजरते पल "कविता

गुजरते पल सबको ही मनमोहक लगते हैं। वे पल भले ही गम के हों या खुशी के।

Originally published in hi
Reactions 0
341
Dr. Anju Lata Singh 'Priyam'
Dr. Anju Lata Singh 'Priyam' 31 Dec, 2021 | 1 min read


विषय-गुजरते पल



स्वरचित कविता

शीर्षक- "गुजरते पल"


'गुजरते पल' लुभाते हैं-

न जाने क्यों रुलाते हैं?

बसे परदेस में बालक-

हमें निश-दिन बुलाते हैं.


वो बीते दिन सुखद लगते-

मेरे सपनों में हैं जगते,

भले ही तिक्त हों कितने-

मगर फिर भी मधुर लगते. 


कहें सब आज में जी लो-

मजे जीवन के कुछ ले लो,

चलो संघर्ष के पथ पर-

जीने दो और खुद जी लो. 


वो जीवन गांव का प्यारा-

खुला आंगन और चौबारा,

मिल-जुल रहते थे सारे-

दमकता नेह-उजियारा.


गुल्ली डंडे का वो खेला-

रौनकों वाला वो मेला,

घी में चुपड़ी गरम रोटी-

भरा वो साग का बेला.


वो पल गर पास आ जाएं-

ये तन और मन निखर जाएं,

प्रदूषण से रहित परिवेश-

सुख की खुशबू बिखर जाए.


   ______ 

स्वरचित-रचयिता-डा.अंजु लता सिंह, नई दिल्ली

0 likes

Published By

Dr. Anju Lata Singh 'Priyam'

anjugahlot

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.