"जीवन के रंग:देश के संग"

रंगों का संसार ही जीवन का सार है। होली का पर्व यह दर्शाता है।

Originally published in hi
Reactions 0
376
Dr. Anju Lata Singh 'Priyam'
Dr. Anju Lata Singh 'Priyam' 25 Mar, 2022 | 1 min read

स्वरचित कविता

शीर्षक -" जीवन के रंग: भारत के संग"


तीन रंग का ध्वज फहराए-

मेरे देश की बात निराली,

दिल रंगीला है लोगों का-

मने यहां होली,दिवाली.


प्राची से नित रवि उदित हो-

सतरंगी किरणें बिखराए,

मेघ थकें जब झम-झम करके-

इंद्रधनुष नभ में मुस्काए.


प्रकृति खजाना है रंगों का-

कहते पात, फूल,फल,डाली,

पुण्य धरा पर रहकर झूमूं-

बात करूं रंगों की आली.


आकर्षित करते हैं मुझको-

जीवन के सब मधुरिम रंग,

मातृभूमि को सजा रहे सब-

मन में भरते अजब उमंग.


झंडे के अनमोल रंग-

हरदम मुझे लुभाएं,

हरा रंग प्रमुदित करें-

श्वेत शांति दर्शाए .


नीला रंग उम्मीद का-

भगवा जोश जगाए,

देश भक्ति के भाव सब-

अंतस में उमगाए.


लाल रंग खुशियों का सूचक-

शुभ कर्मों को करे पुनीत,

पीला रंग उमंग बरसाए-

बासंती ऋतुराज प्रतीक.


काला टीका लगा,नजर से-

बचने का है गजब तरीका,

कृष्ण केश, काली आंखों ने-

हरदम ही है दिल को जीता.


रंग गुलाबी अहसासों का-

धैर्य सिखाए मस्त जामुनी,

भूरी माटी मह-मह महके-

कहती मेरी कलम-कामिनी.


रंग बिरंगे फूलों का है-

हिंदुस्तां का यह गुलदस्ता,

भिन्न वेश,धर्म,जाति हैं-

जग में अपना सौरभ भरता.

      ______

रचयिता- डा. अंजु लता सिंह 'प्रियम',नई दिल्ली










0 likes

Published By

Dr. Anju Lata Singh 'Priyam'

anjugahlot

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.