चाँद मुबारक

चाँद अनुपम है। धरती पर भी सुंदर मुख चाँद समान है।

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विषय-"चाँद मुबारक "

शीर्षक-"खिड़की में चाँद,घूंट में चाँद"


बदली में चांद

छिपता जाए

घूंघट में मुखड़ा

ज्यों शरमाए


शीतल और श्वेत

चांदी सा चमके

होकर ज्योतित

दम दम दमके


देखें उसे सब

निशा की पहचान

परखें इसे हाय!

प्रियतम दिल थाम


रातों का राजा

नभ की है शान

अनुपम सुंदरता

इसकी पहचान



चांद को चाहे

पाखी चकोर

प्रेम-पुजारी बन

निरखे उस ओर


रातों में जागे

दिनभर वो सोए

ये पागल प्रेमी

जागे न सोए


लगते हैं दोनों ही

जग को दुलारे

आओ सभी

हम इनको पुकारें

   ___

डा.अंजु लता सिंह गहलौत

नई दिल्ली

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