#गर तू कहे तो....

कुनकुनी धूप का आव्हान सर्दियों के नवागत वर्ष की खुशियों को बहुगुणित कर देता है। प्रकृति खुशहाल दिखने लगती है।

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Dr. Anju Lata Singh 'Priyam'
Dr. Anju Lata Singh 'Priyam' 26 Dec, 2021 | 1 min read

#स्वरचित कविता

#"गर तू कहे तो..."



कुनकुनी धूप!बैठा रहूं पास तेरे-

सुखद ताप तेरा,रहे मुझको घेरे,

कली-वृंद-दर पर, दे हौले से दस्तक-

खिलें वे तनिक,तितलियों के हों फेरे.

तुझे देखें जी भर,गर तू कहे तो...


हरित घास फैली, सरस मखमली-

तुहिन-कण चमकते,लगे है भली,

शीतल पवन ,चले मंदिम गति से-

सुरभित हुई, मेरे मन की गली.

धरें पैर इन पर,गर तू कहे तो...


नए वर्ष का हर्ष, चुपके से बोले-

वसुधा के कानों में मिश्री सी घोले,

जूझेंगे सारे विकट हालातों से-

नया कुछ करेंगे, हटाकर झमेले.

नभ! तुझ को छू लें,गर तू कहे तो...

_____________

रचयिता-डा.अंजु लता सिंह,नई दिल्ली


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Dr. Anju Lata Singh 'Priyam'

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