होली का त्योहार

होली एक स्नेह-मिलन रंगों का पर्व है।

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स्वरचित कविता

शीर्षक-"होली का त्योहार"


होली का त्योहार है आया-

मन में उठे उमंग,

रंगों की धमाचौकड़ी-

तन हो रहा मलंग.


जात पांत सब भूलकर-

सबको गले लगाएं,

मानवता के धर्म का-

परचम हम फहराएं.

हंसी-खेल,उमंग में-

हो न जाए जंग.

आओ हिलमिल बना टोलियां

खूब लगाएं रंग


होली का त्योहार है आया

मन में उठे उमंग...

रंगों की धमाचौकड़ी

तन हो रहा मलंग


सखियां करें ठिठोली हमसे

रह रहकर मुस्काएं

भर-भरकर पिचकारी गोपी

कान्हा पर खूब चलाएं

आसमान बेहाल हुआ है

देख अजब यह ढंग

रह जाए बस दंग


होली का त्योहार है आया

मन में उठे उमंग

रंगों की धमाचौकड़ी

तन हो रहा मलंग


टेसू से हैं लदी डालियां

इतराएं बल खाएं

आमों के हैं बौर महकते

कोयलिया कूके जाएं

सबके रंग ढंग बदले हैं

बौराए हैं अंग

पात-पात भी मस्ताए हैं

झूमें बजे मृदंग


होली का त्योहार है आया

मन में उठे उमंग

रंगों की धमाचौकड़ी

तन हो रहा मलंग

होली का त्योहार है आया....


(संलग्न फोटो..दैनिक जागरण के सौजन्य से)

स्वरचित,मौलिक, अप्रकाशित एवंअप्रसारित कविता

डा. अंजु लता सिंह गहलौत

नई दिल्ली

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