"नहीं मैं अकेला"

छोटे बालक की सोच दर्शाना

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पेपरविफ पर प्रेषित स्वरचित कविता(फोटोग्राफी डे पर खुद खींची गई फोटोग्राफ पर आधारित)


दिनांक 20-8-2022

स्वरचित कविता-

शीर्षक -" नहीं हूँ अकेला"

सफर में नहीं हूँ मैं बिल्कुल अकेला

कुली की जरूरत न कोई न झमेला

साहब हूँ मैं ,मेरी मम्मी हैं साथ

अभी कर रहीं,फोन पर कोई बात

डैडी ने मेरे बुलाया है हमको

परदेस में जानते न किसी को

राह में सब मुझसे प्यार करें

खींचे मेरे गाल,रार करें

पापा हमें लेने आते ही होंगे

मेरी इस शैतानी पे नाराज होंगे

उनको भी संग में बैठा लूंगा झटपट

नहीं होगी फिर उनसे कोई भी खटपट

    ____________

स्वरचित-डा.अंजु लता सिंह गहलौत, नई दिल्ली

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