"यादों में बसी मेरी मां" (कविता)

मां के स्नेह से सराबोर जीवन के विगत पलों की यादें बहुओं का बेटियों के रूप में आगमन के बीते पल

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Dr. Anju Lata Singh 'Priyam'
Dr. Anju Lata Singh 'Priyam' 26 Nov, 2022 | 1 min read


स्वरचित काव्य-गीत

शीर्षक-"वधू आगमन:वो खूबसूरत पल"

स्वर-डा.अंजु लता सिंह

नई दिल्ली


स्वरचित-

शीर्षक-"वधू आगमन:खूबसूरत पल"


आंखों में थिरकें

 वो खूबसूरत पल

 नववधू आई ज्यों

 खिलता कमल


मन के सरोवर में

डूबी उतराई

सुरभित हुआ द्वार

देहरी महकाई

बुत से मेरे तन में

मच गई हलचल

आंखों में थिरकें

वो खूबसूरत पल..


बेटी का भान हुआ

खुदपर इठलाई

मुझको गुमान हुआ

बाजी शहनाई

उछालीं खुशियां

चूमा आंचल

आंखों में थिरकें

वो खूबसूरत पल


पायल की छम-छम

कंगन की सरगम

हुए तार झंकृत

गूंजी सरगम

सूने घर में

हो गई चहल-पहल

आंखों में थिरकें

 वो खूबसूरत पल.


मिला मुझे अनमोल

स्वाति का मोती

प्राची की किरणों सी

जीवन की ज्योति

चंदा की शीतलता

सुख का महल

आंखों में थिरकें

 वो खूबसूरत पल


संभालें वो हाथ

वही मेरे साथ

स्नेह-समंजित

मिली है सौगात

गम के निशां सारे

मिटाए पल पल

आंखों में थिरकें

 वो खूबसूरत पल


बहू तो लगे मुझे

बेटी से बढ़कर

मेरे दिन-रात बने

सुंदर और सुखकर

नजर से कहूं-जा!

जरा तू संभल

आंखों में थिरकें

वो खूबसूरत पल.

स्वरचित-

डा.अंजु लता सिंह

नई दिल्ली

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Dr. Anju Lata Singh 'Priyam'

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